हर रेस्क्यू की कहानी
- APE Life
- Apr 19, 2023
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उसको देखा था, बड़ा दर्द आया था
सोचा की ख़बर करदें, तो सबको बता दिया था
उसको देख रहे थे, बुरी हालत में था,
ना जाने क्यूँ नहीं सोचा, कि पहले अस्पताल ले जाएँ इसको
कभी किसी की फ़्लाइट छूट जाती तो कभी ट्रेन
जाने क्यूँ नहीं सोचा, कि उसकी ज़िंदगी छूट रही थी
पता नहि कहाँ भाग रहे हैं, जो ज़िंदगी भी नहीं रही
कहने को बहुत तेज़ हैं, पर ज़िंदगी से तो नहीं
उसका भी अपना घर था कभी, पुरखे लेकर आए थे इनके
फिर छोड़ दिया था लावारिस सड़कों पर, जानवर बता कर
बस जीता है अपनी ज़िंदगी, अपने ही दायरे में
फिर भी जीने नहीं देते, ना उजियरे ना अंधेरे में
