आज फिर लूटी तुमने एक माँ की आबरू?
आज फिर एक बच्चे का हक़ छीन लिया ?
कैसा सुकून आया होगा ना इस सब के बाद
एक कप चाय पी कर, बच्चे के आँसुओं के स्वाद से
नहीं नहीं सोचना मत वो माँ किसी को नहीं बोलेगी
उस माँ को मारने वाले हाथों ने निकाला था वो दूध
हाँ खाना दिया था उसे रोज़ देते हैं खाना तो
पर बोले माँ से तू यहीं बंध के रहेगी और बच्चा दूर रहेगा
नहीं खिसकी वो तो जड़ दिया एक, क्या हुआ ?
नहीं नहीं सोचो मत वो माँ किसी को नहीं बोलेगी
बच्चे को बोले तू दूर रहना अपनी माँ से
नहीं तो तू सारा दूध पी जाएगा, और में बेचूँगा क्या
बच्चे ने कोशिश की भागने की माँ के पास
तो जड़ दिया एक और, और खींच के बाँध दिया उसे
नहीं नहीं सोचो मत वो बच्चा किसी को नहीं बोलेगा
नन्हें से ही हैं अभी तो वो, पर बोल रहे हैं बच्चे से
अगले साल तेरी पहली माहवारी होगी समझे ना?
तो तेरा भी बच्चा कर देंगे दूध देना फिर ख़ूब सारा
बस तीन महीने में तू बिकने को तैयार होगा
तो तुझे बेच देंगे और तू तो मर भी चुका होगा
नहीं नहीं सोचना मत किसी और प्रजाति के जानवर हैं वो
ना उनमें से कोई तुमसे बोलने आएगा ना सुनाने
तुम्हारी भाषा में बोलते नहीं ना तो कौन सुनेगा उनकी
तुम्हें भी कहाँ उनकी भाषा समझ आती है, छोड़ो
मरने दो पिटने दो कटने दो खिचने दो लुटने दो, छोड़ो
अरे! नहीं नहीं तुम सोचना मत, कोई ऊँगली नहीं करेगा ।
एक कप चलो फिर से चाय पी लो बच्चे का दूध छीन के
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