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काप्पा Kappa - holi ke rang

NOTE

हम काफ़ी दिन से कोशिश कर रहे थे, cuppa को ढूँढने की । होली से दो दिन पहले, शुक्रवार को हमें इसका पता चला । राजकुमारइसको सुबह शाम ढूँढने गए दो दिन लगातार और २-३ घंटे वहाँ इसकी राह देखी पर उस समय यह मिलता ही नहीं था । वहाँ केदुकानदार प्रेमचंद जी से हम सम्पर्क में थे, फिर ना मिलने पर हमन उन्हें दवाई दी इसको खिलाने के लिए की इसके कीड़े और ना बढ़ें ।


कान के पास घाव होने से यह बहुत विचलित था और इधर से उधर भटक रहा था , पर जब यह दिखा तो उन्होंने इसे हमारी भेजी हुईदवाई देदी। पर वह दर से इसे पकड़ नहीं सकते थे और कोई भी ऐसा नहीं मिल रहा था जो वहाँ पूरे दिन रुके और इसको पकड़ भी सके।


कल मैंने सोचा की क्यूँ ना इक बार उस जगह जाऊँ और शायद वो दिख जाए । और यह मुझे सामने ही मिल गया । फिर एक धर्मशालाके अंदर गया और कुछ police वालों की मदद से मैंने इससे अंदर ही रोके रखा । उन्होंने ध्यान रखा की दरवाज़ा बंद रहे और इसकोखिलाने के लिए बिस्कुट भी देते रहे ।


कपिश को बता दिया था की यह मिल गया है तो वाह १५-२० मिनट में ही वहाँ पहुँच गए और फिर अपने दोस्त अरुण और यतेंद्र को भीले आए मदद के लिए। कपिश ने पहले cuppa से दोस्ती की और फिर उसके गले में आराम से रस्सी डाली । cuppa बहुत प्यार सेहमारे साथ आ गया। रात के 9.30 बजे हम फार्म पहुँचे और इसकी मल्लम पट्टी करी । Cuppa के पीछे के घुटने में भी चोट है, पर वहखूब ख़ुशी से खा पाई रहा है।


इसके बारे में सूचना हमें फ़ेस्बुक पर एक ग्रूप से मिली, जहां प्रियंका, जो  जनमभूमि घूमने आयी थी, को यह दिखा और उन्होंने तुरंतइसकी video बनाई और मदद माँगी इसका इलाज करने के लिए । और निरंतर हमसे पूछती रही व मदद करने को आतुर रही ताकि यहबच्चा बच सके और दर्द में तड़पता ना रहे ।

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